कौन कहता है आसमाँ में सुराख हो नहीं सकता, एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारो.!!!
विगत 28 मई 2020 को प्रख्यात शिक्षाविद् "सोनम वांगचुक" जी ने अपने यू-ट्यूब चैनल पर #boycottMadeInChina नाम से एक वीडियो अपलोड किया। उनके द्वारा इस वीडियों को अपलोड करने का उद्देश्य चीन द्वारा निर्मित उत्पादों का भारत में बहिष्कार करना था।
लद्दाख़ से सोनम वांगचुक कहते हैं- चीन का भारतीय सीमा पर विवाद खड़ा करना उसकी एक रणनीतिक चाल का हिस्सा है। अतः हमें भी अब उसकी चाल का एक कदम आगे बढ़कर जबाब देना होगा। सामान्यतः जब सीमा पर इस प्रकार का कोई विवाद होता है तो एक सामान्य नागरिक यह सोचकर रात को सो जाता है, कि इसका जबाब हमारी आर्मी दे रही होगी। लेकिन इस बार हमें सिर्फ सैनिक जबाब ही नहीं अपितु नागरिक जबाब भी देना होगा। हमें बुलेट पॉवर से भी ज्यादा वालेट पॉवर से चीन को हराना है। जरा सोचिये आप और हम सभी अपने भारतीय उद्योंगो को मारकर चीन से मूर्तियों से लेकर कपड़ो तक हर साल 5 लाख करोड़ का सामान खरीदते हैं। आगे चलकर यह धन हमारी सीमा पर हथियार और गोला-बारूद बनकर हमारे ही सैनिकों की शहादत का कारण बनता है। इसलिए अगर हम सभी 130 करोड़ भारतीय तथा 3 करोड़ वे भारतीय जो विदेशों में रह रहे हैं, सब मिलकर ये प्रण कर लें कि आज से हम सभी चीन के खिलाफ boycott made in China अभियान शुरू करते हैं, तो चीन की आर्थिक कमर टूट जायेगी। आज चीन की विश्व में जो स्थिति बन चुकी है उसके मध्येनज़र पूरी दुनियां भारत के साथ इस मुहिम में खड़ी नज़र आएगी। जब समूचे संसार में चीनी सामानों का बहिष्कार होना शुरू हो जायेगा तो इसका सीधा प्रभाव चीन के उद्योग-धंधों पर पड़ना लाज़मी है। इसका प्रत्यक्ष प्रभाव चीन की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा। यही डर चीन को पहले से सता भी रहा है इसलिये वह इस प्रकार के सीमा विवादों को जन्म देकर और अपनी शक्ति दिखाकर दुनियां को डराना चाहता है। ये सब होने से चीन की अर्थव्यवस्था डगमगा जायेगी जिससे उसकी जनता में ही विरोध के स्वर उठ जायेंगे। इससे परिणाम अनुकूल रहे तो चीन की मौजूदा सरकार का तख्ता-पलट भी हो सकता है। अब आप स्वयं सोचिये एक तरफ जब हमारी सेना चीन का माकूल जबाब सीमा पर दे रही है, ठीक उसी वक्त हम चीनी वस्तुओं का अंधाधुंध उपयोग कर चीन की अर्थव्यवस्था में सहयोग दे रहे हैं.... क्या ये सही है.???
विगत 28 मई 2020 को प्रख्यात शिक्षाविद् "सोनम वांगचुक" जी ने अपने यू-ट्यूब चैनल पर #boycottMadeInChina नाम से एक वीडियो अपलोड किया। उनके द्वारा इस वीडियों को अपलोड करने का उद्देश्य चीन द्वारा निर्मित उत्पादों का भारत में बहिष्कार करना था।
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#boycottMadeInChina |
दूसरी तरफ हमारे युवा चीनी सॉफ्टवेयर का अंधाधुंध इस्तेमाल कर घर बैठे ही चीन की जेब में अपना रुपया डाल रहे हैं। इसलिए यह जरुरी है कि हम इस बॉयकोट अभियान को ग्लोबल स्तर पर ले जाएँ। इससे भारत को दो तरफ़ा फायदा होगा। पहला यह कि, हमारे देश का धन हमारे देश में ही रहेगा और निर्माण तथा विकास कार्यों में लगेगा। दूसरा यह कि, इससे आत्मनिर्भर भारत जो की प्रधानमंत्री मोदी जो का एक दृष्टिकोण है, उसे भी बल मिलेगा। स्वावलंबन का यह दृष्टिकोण तब ज्यादा प्रभावशाली होगा जब हमारे उद्योग फलेंगे-फूलेंगे। इसके लिए चीन के उत्पादों का बहिष्कार बहुत आवश्यक है। इससे रोजगार के अवसर बढ़ेंगे, मजदूरों को काम मिलेगा तथा सही गुणवत्ता वाली उपयोग की वस्तुओं का निर्माण खुद देश के भीतर होगा।
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boycottMadeInChineseApps |
आगे सोनम वांगचुक जी ने यह सुझाव दिया कि, हमें चीनी सॉफ्टवेयर को 1 हफ्ते में जबकि हार्डवेयर को 1 वर्ष के भीतर बॉयकॉट करना चाहिए। हार्डवेयर के विकल्प के रूप में हमें अभी कुछ समय लगेगा। इसलिए पहले हमें चीनी सॉफ्टवेयर को अपनी ज़िन्दगी से हटाना होगा। यहाँ ध्यान रखने योग्य बात यह है कि हमें सिर्फ चीनी सरकार से समस्या है, वहां की जनता से नहीं। इसलिए चीनी उत्पादों का बहिष्कार करना है वहां के नागरिकों का नहीं। और सबसे अहम बात कि इस 21 वीं शदी में हमें देश के लिए जान देने की नहीं अपितु ज़िन्दगी देने की जरुरत है।
हम चाहते हैं कि देश का हर नागरिक आज सोनम वांगचुक जी के इस वीडियो को ध्यान से सुने। इसलिए इस वीडियो का लिंक यहाँ दिया जा रहा है। 👉 click here इस वीडियो को विश्व भर के लोगों ने देखा और खुद चीन ने भी इस वीडियो को देखकर अपने सरकारी समाचार पत्र "ग्लोबल टाइम्स" में इसके लिए भारत के प्रति नाराजगी ज़ाहिर की। इस वीडियों को देखकर बहुत से लोगों में कुछ प्रश्न खड़े हुए। जिसके भी मन कुछ प्रश्न उठे उन सभी प्रश्नों का जबाब देने के लिए सोनम वांगचुंग जी ने दुबारा एक वीडियो अपने यू-ट्यूब अकाउंट से शेयर किया। इन सभी प्रश्नों में हमें जो सबसे कॉमन तथा अक्सर पूछा जाने वाला प्रश्न लगा वो था- "जनता ही क्यों चीनी वस्तुओं का बहिष्कार करे, हमारी सरकारें क्यों नहीं चीनी वस्तुओं का बहिष्कार करती और चीन से व्यापार पूरा बंद कर लेती.???"
इस प्रश्न का बड़ा ही खूबसूरत जबाब सोनम वांगचुक जी ने दिया- सरकारों की कुछ बंदिशें होती हैं। व्यापार से सम्बंधित कुछ प्रोटोकॉल होते हैं। व्यापार बहुतरफ़ा होता है इसलिए सीधे तौर पर सरकार के लिए यह कदम लेना मुश्किल हो जाता है। लेकिन इसके उलट यदि यही बहिष्कार देश की जनता करना शुरू कर ले तो इसमें कोई आपत्ति नहीं। ये जनता की अपनी मर्जी है कि वे चाहे तो चीनी वस्तुओं को खरीदे या न खरीदे। Customer is the king.... दुनियां की कोई भी ताकत उसे यह नहीं पूछ सकती कि आप यह सामान क्यों खरीद रहे हैं अथवा नहीं। सबसे अहम् बात की हम इसमें सरकार का इंतज़ार क्यों करें.!!! जब जनता कुछ करने लगे तो सरकार वेसे ही नीति बनाती है जो जनता पसन्द करती है। अमेरिका का राष्ट्रपति "जॉन एफ0 कैनेडी" ने कहा था- "Ask not what your country can do for you, ask what you can do for your country."
आगे अपनी बात एक शेर के साथ समाप्त करते हैं-
"खरीदें कब तलक कोट-पटलून-पेरहम हम चीन से।
अपनी अय्यासी गर हालत यही कायम रही...
आएंगे गुस्साल चीनी और कफ़न भी चीन से।।"
बॉर्डर पर इस समय चीन ने जो तनाव पैदा किया उसके बाद हर भारतीय में आज चीन और चीनी उत्पादों के लिए आक्रोश भरा पड़ा है। आज पूरा देश गुस्से से आग बबूला हुआ पड़ा है। फलस्वरूप भारतीय जनता ने अब चीनी सामान के बहिष्कार का मन बना लिया है। इन सबके बीच भारत की एक स्टार्टअप कंपनी ONE TOUCH APPLABS के द्वारा REMOVE CHINA APPE नाम से एक ऐप डिजाइन किया गया। इसकी मदद से आप अपने फोन में यह ढूंढ पाएंगे कि आप कौन से चीनी ऐप का उपयोग कर रहे हैं। इसकी सहायता से उन ऐप को आप डिलीट भी कर सकते हैं। इसे 17 मई 2020 को रिलीज किया गया था। इसके 2 हफ्ते के भीतर ही इसे डाउनलोड करने वालों की संख्या 10 लाख पार कर चुकी थी। ये ऐप चीनी मोबाईल ऐप के लिए दुश्मन साबित हो रही थी। इसलिए गूगल प्ले स्टोर से अचानक इसे डिलीट कर दिया गया है। ऐसे में गूगल प्ले स्टोर जैसे प्लेटफॉर्म की पारदर्शिता पर भी शंशय उत्पन्न होता है। हाल ही मैं कुछ ऐसा ही वाक्या अमूल के साथ भी घटा। ट्विटर पर चीनी उत्पादों के बहिष्कार का अमूल गर्ल द्वारा विज्ञापन देने पर ट्विटर ने अमूल का अकाउंट सस्पेंड कर लिया था। हालांकि फिर अपनी गलती मानते हुए ट्वीटर ने 1दिन बाद उसे बहाल किया दिया।
इसके अलावा हम यहाँ कुछ ऐसे ऐप्स का ज़िक्र कर रहे हैं जिनकी सहायता से आप यह जान पाएंगे की ये चीनी हैं अथवा नहीं। साथ ही हम आपको यहाँ इन चीनी ऐप्स के विकल्प के तौर पर कुछ भारतीय या अन्य ऐप्स का लिंक भी शेयर करेंगे 👉 click here link जिन्हें आप उन चीनी ऐप्स के विकल्प के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं।
अब सबसे बड़ा प्रश्न ये खड़ा होता है आखिर ये सब करने से क्या हासिल होगा.! देखिये ये साफ़ तौर पर समझने वाली बात है कि आत्मनिर्भर भारत कोई एक दिन या एक साल में नहीं होने वाला। अगर यह परिवर्तन हमें आने वाले 10वर्षों बाद देखना है तो हमें आज से ही शुरुआत करनी पड़ेगी। हम ये भी मानते हैं कि शुरुआत में बहुत सी समस्याएं आएँगी लेकिन इसका अंजाम बहुत ही सुखद होगा। सबसे पहले शुरुआत हमें चीनी ऐप्स या सॉफ्टवेयर से करनी होंगी। हमें यह भी पता है कि चीन के सभी उत्पादों का बहिष्कार एक दम से कर लेना हमारे लिए संभव नहीं है। इसलिए धीरे-धीरे हमें इस क्षेत्र में आगे बढ़ना पड़ेगा। जैसा की सोनम वांगचुंग जी ने सुझाव दिया कि पहले 1हफ्ते में हम अपने जीवन से सिर्फ चीनी सॉफ्टवेयर को बाहर निकल फेंके। फिर 1वर्ष के भीतर हम हार्डवेयर को निकालने का प्रयास करें। हार्डवेयर में भी उन चीजों को सबसे पहले जो हमारे उपयोग की ज्यादा न हों। अर्थात जिनके बिना भी जीवनयापन आसानी से किया जा सके। उसके अगले वर्ष उन्हें जिनके विकल्प हमारे पास मौजूद हों। ऐसा ही क्रम आगे चलता रहा तो एक दिन ऐसा आएगा जब हम पूर्ण रूप से आत्मनिर्भर हो जायेंगे। जरा सोचिये अगर यही मुहीम हमने 10वर्ष पहले छेड़ी होती तो आज के क्या हालात होते..!!!
यहाँ ध्यान देने योग्य सबसे अहम बात यह कि हम इस अभियान का सिर्फ हवा न बनायें। अगर प्रत्येक नागरिक आज से ही यह प्रण ले की मैं आज से चीनी उत्पादों का कम से कम उपयोग अपने दैनिक जीवन में करूँगा तो एक दिन ऐसा आएगा जब हम खुद पाएंगे कि हमारी दिनचर्या से चीनी उत्पाद गायब हो गए हैं। लेकिन शुरुआत खुद से करनी होगी। पहले खुद से करे फिर अपने परिवार से। तदोपरांत अपने से जुड़े हुए कम से कम 5 व्यक्तियों को यह सब समझाने का प्रयास करें। देशभक्ति सीमा पर बंदूक उठाने से नहीं होती। अगर हम चाहे तो अपने घरों में बैठकर ही बिना हथियार उठाये चीन की सरकार को अपनी देशभक्ति का सबूत दे सकते हैं।
देशभक्ति क्या होती है इसका प्रत्यक्ष उदाहरण चीन की जनता और वहां की सरकार से हमें आज सीखने की नितांत आवश्यकता है। यही कारण है कि भारत से 2 वर्ष बाद 1949 ई0 में आजाद होने वाला चीन आज विश्व की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। इसका कारण है वहां देशभक्ति खून में होती है। किसी भी नागरिक को यह बताने की जरुरत नहीं होती कि देशभक्ति क्या है। वहां मेहनती लोगों की संख्या काफी है जो जिमेदार और कर्तव्यपरायण हैं। चीन के जनता अपने कारोबारियों पर भरोसा दिखाती है और चीन में ही निर्मित उत्पादों का उपयोग करना पसंद करती है। वहां न ही भ्रष्टाचार उतना है, जितना हमारे देश में है। इसके विपरीत भारत में विदेशी उत्पादों का उपयोग करना एक सामाजिक स्टेटस माना जाता है और घरेलू उत्पादों को तवज्जो देना साधारण व्यक्ति होने का संकेत।
आइये चीनी जनता और वहां की सरकार की देशभक्ति का कुछ नमूना देखते हैं.... पूरा विश्व आज Google सर्च इंजन का उपयोग करता है, जबकि चीन की जनता ने उसे चीन में घुसने तक नहीं दिया और वहां आज भी इसके स्थान पर BAIDU का उपयोग किया जाता है। इनका अपना देशी सर्च इंजन है। ये GOOGLE CHROME के स्थान पर UC Browser का उपयोग करते हैं। पूरा संसार Whatsapp उपयोग कर रहा है, जबकि यह चीन में आज भी बेन है। इसके स्थान पर इनका अपना देशी ऐप WeChatt उपयोग किया जाता हैं। Amazon को चीन में घुसने में एड़ी-चोटी का जोर लगाना पड़ गया लेकिन घुस नहीं पायी, क्योंकि वहां चीनी कंपनी Alibaba को ये लोग तवज्जो देते हैं। इसी प्रकार विश्व GMAIL उपयोग करता है, जबकि चीन में Tencent QQ चलाया जाता है। ये लोग facebook न चलाकर उसकी जगह Renren चलाते हैं। twitter वहां बेन है, उसकी जगह WeiBo चलाते हैं। You-tube की जगह अपना ही Youku उपयोग करते हैं।
कहने का ये तात्पर्य है कि चीन वह देश है जो खुद तो पूरे विश्व में अपने उत्पाद बेचता है लेकिन खुद के देश में स्वदेशी को बढ़ावा देता है। हास्यप्रद लगता है लेकिन जो आज हम करने की सोच रहे हैं, वो सब चीन आज से 30 वर्ष पहले कर चुका है। समझने वाली बात यह है कि अगर आज हम यही सब करना शुरू भी करते हैं तो हमें भी चीन जगह आने में अभी 30 वर्ष लगने वाले हैं। बशर्ते हम ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा से काम करें।
जैसे ही देश में boycott made in china अभियान शुरू हुआ इसके साथ ही हमारे देश में एक और लॉबी जागृत हो गयी। ये वो लोग हैं जो हर रोज सोशल मिडिया के माध्यम से यह बताने का प्रयास कर रहे होते हैं, कि चीन के उत्पादों का बहिष्कार करना हमारी मूर्खता होगी... और हमारे बहिष्कार करने से चीन की अर्थव्यवस्था पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ने वाला है। इनमें से कुछ लोग ऐसे हैं जो इस प्रकार का ज्ञान यहाँ भारत में रहकर नहीं बल्कि भारत से बाहर मसलन विदेशों से वीडियों बनाकर दे रहे होते हैं। हमें इनकी सोच पर शर्म आती है। अभी हाल ही में हम एक वीडियो देख रहे थे। वीडियो बनाने वाले जनाब बड़े ही व्यंगात्मक लहज़े में तंज कसते हुए यही सब बताने का प्रयास करते दिखे। जांच पड़ताल करने पर पता लगा की जनाब भारत में नहीं बल्कि US से वीडियो द्वारा ज्ञान बाँट रहे हैं। और तफ्तीश करने पर पता लगा एक कारोबारी हैं, जो US में कारोबार करते हैं। इनका कहना है दीवाली पर लड़ियाँ नहीं खरीदने से भला चीन की अर्थव्यवस्था को क्या नुक्सान होगा।
इस पर हमारी व्यक्तिगत राय यह है कि हे भद्र पुरुष.! अगर आपके भीतर देशप्रेम की इतनी ही भावना उमड़ रही है और आप इतने ही देशभक्त हैं, तो वहां सात समुद्र पार क्यों नौकर बनें फिर रहे हैं। यहाँ भारत में आइये और यहाँ अपना कारोबार कीजिये। खुद भी मुनाफा कमाइए और अपने साथ देश की जनता को भी काम दीजिये। हम बताते हैं आप भारत में क्यों नहीं कारोबार करना चाहते... क्योंकि यहाँ आपकी कमाई उतनी नहीं होगी जितनी US में डॉलर में होती है। स्वार्थपरता से औत-प्रोत होकर आपने अपनी जन्म-भूमि को अपनी कर्मभूमि नहीं चुना, बल्कि विदेशी भूमि को चुना। इसलिए अपनी ज्ञानबीड़ी जलाना बंद करें और भारत की चिंता करना छोड़ दें। भारत की अर्थव्यवस्था वेसे भी आप जैसे परजीवियों के रहमों करम पर नहीं चल रही है। यहाँ की अर्थव्यवस्था चलती है उस किसान से जो अपने खेतों में दिन-रात मेहनत करके अन्न उगाता है, लेकिन फिर भी विदेशों में बर्तन धोना पसंद नहीं करता। साथ ही वह मजदूर जो अपने देश में मजदूरी को अपना कर्तव्य समझता है। इसलिए आप जैसे लोग वहां कोसों दूर बैठकर अपना अमूल्य ज्ञान हमें न दे तो बेहत्तर है। पहले देश में आएं और देश की अर्थव्यवस्था में सहयोग दे, फिर अपना ज्ञान बांटें। रही बात दीवाली पर लड़ियों की तो हम सभी जानते हैं, चीन 500 या 1000 रूपये की लड़ियाँ भारत को नहीं बेचता। यह व्यापार युआन और डॉलर में होता है। तक़रीबन करोड़ों का यह व्यापार होता है, और भला अपनी कमाई का हम 1रुपया भी चीन की जेब में क्यों डालें.! यहाँ तो करोड़ों का सवाल है। साथ ही चीन के उत्पादों का बहिष्कार हम इसलिए नहीं करना चाहते की चीन के खाने-पीने के लाले पड़ जाएँगे, बल्कि ये सब इसलिए आवश्यक है क्योंकि बात देशप्रेम की है, प्रश्न आत्मसम्मान का है और प्रेरणा स्वावलंभी बनने की है। अगर यह अभियान ग्लोबल लेबल पर चला तो चीन का दिवालिया होना भी तय है। लेकिन इसके लिए पहले स्वयं से शुरुआत करनी होगी। साथ ही हम अपनी जरुरत का सामान देश में बना सकें ऐसी नीतियां भारत सरकार को बनानी होंगी। आज विश्व की बड़ी-बड़ी कंपनियों में भारत के अधिकारी कार्यरत हैं। भारतीय दिमाग US में सबसे ज्यादा उपयोग होता है। बात तकनीकी की हो या सभ्यता की, हमने अपना परचम पूरे विश्व में लहराया है। तो क्यों न हम अपने देश में निर्मित व्हाट्सऐप, फेसबुक, यू-ट्यूब जैसे सोशल मिडिया प्टेलफॉर्म का निर्माण करें। इस विषय पर अभी काफी आत्ममंथन की जरुरत है।
वास्तव में हमें आज ऐसे नवयुवकों पर गर्व करने की ज्यादा जरुरत है जो लाखों का पैकेज मिलने के बाद भी विदेशों में नौकरी करने के बजाय अपनी जन्म भूमि को ही अपनी कर्म भूमि चुनते हैं। रमन मैग्सेसे पुरस्कार प्राप्त सोनम वांगचुक इनमें से एक उदाहरण हैं। आज देश को जरुरत है तो ऐसे युवाओं की जो सोनम वांगचुक जी जैसे सच्चे देशभक्तों को अपना आदर्श चुनते हैं, बजाय कि टिक-टोक और यू-ट्यूब पर ज्ञान बाँटने वाले कुछ मुट्ठी भर छद्म राष्ट्रवादियों को। इसलिए हम अपने सभी पाठकगणों से निवेदन करते हैं, कि इस वक्त इस मुहीम में एकजुट होकर देश का साथ दें। साथ ही इस मुहीम को अपने-अपने स्तर पर सेमीनार द्वारा या गोस्ठियों के माध्यम से आगे बढाएं। सबसे अहम यह कि सबसे पहले जो सुपरस्टार हैं वे सभी चीनी कंपनियों की ब्रैंडिंग बंद करें। जिन्हें भी यह अभियान हास्यप्रद लगता है उन्हें आज जरुरत है वर्ष 1905 ई0 में शुरू हुए स्वदेशी आंदोलन पर एक नज़र मारने की। वर्ष 1905 ई0 में बंग-भंग विरोधी जन जागरण से उत्पन्न हुआ यह आंदोलन सन् 1911 तक चला था। इसका मुख्य उद्देश्य अपने देश की वस्तुओं को अपनाना तथा विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार करना था। आगे चलकर यह आंदोलन भारत के स्वतंत्रता आंदोलन का भी केंद्र बिंदु बना। आज ठीक इसी प्रकार से मन में संकल्प करने की आवश्यकता है। अतः पहले शुरुआत स्वयं से, फिर अपने से जुड़े हुए हर एक व्यक्ति से। कहीं भविष्य में ऐसा न हो कि चीन टी-शर्ट पर 'बॉयकॉट मेड इन चाइना' छापकर भारत के बाज़ारों में टी-शर्ट निकाले और भारत में वह पूरी बिक जाएँ... इसलिए इस पर विचार अवश्य कीजियेगा।
आत्मनिर्भर भारत एक सपना है, इसे पूरा करने में सहयोग दें। अंत में "दुष्यंत कुमार" जी की कुछ पंक्तियाँ इस पूरे वृतांत को समझने के लिये काफी हैं....
"सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं,
मेरी कोशिश हैं कि ये सूरत बदलनी चाहिए।
मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही,
हो कहीं भी आग, लेकिन आग जलनी चाहिए।
जय हिन्द.! भारत माता की जय.!
हम चाहते हैं कि देश का हर नागरिक आज सोनम वांगचुक जी के इस वीडियो को ध्यान से सुने। इसलिए इस वीडियो का लिंक यहाँ दिया जा रहा है। 👉 click here इस वीडियो को विश्व भर के लोगों ने देखा और खुद चीन ने भी इस वीडियो को देखकर अपने सरकारी समाचार पत्र "ग्लोबल टाइम्स" में इसके लिए भारत के प्रति नाराजगी ज़ाहिर की। इस वीडियों को देखकर बहुत से लोगों में कुछ प्रश्न खड़े हुए। जिसके भी मन कुछ प्रश्न उठे उन सभी प्रश्नों का जबाब देने के लिए सोनम वांगचुंग जी ने दुबारा एक वीडियो अपने यू-ट्यूब अकाउंट से शेयर किया। इन सभी प्रश्नों में हमें जो सबसे कॉमन तथा अक्सर पूछा जाने वाला प्रश्न लगा वो था- "जनता ही क्यों चीनी वस्तुओं का बहिष्कार करे, हमारी सरकारें क्यों नहीं चीनी वस्तुओं का बहिष्कार करती और चीन से व्यापार पूरा बंद कर लेती.???"
इस प्रश्न का बड़ा ही खूबसूरत जबाब सोनम वांगचुक जी ने दिया- सरकारों की कुछ बंदिशें होती हैं। व्यापार से सम्बंधित कुछ प्रोटोकॉल होते हैं। व्यापार बहुतरफ़ा होता है इसलिए सीधे तौर पर सरकार के लिए यह कदम लेना मुश्किल हो जाता है। लेकिन इसके उलट यदि यही बहिष्कार देश की जनता करना शुरू कर ले तो इसमें कोई आपत्ति नहीं। ये जनता की अपनी मर्जी है कि वे चाहे तो चीनी वस्तुओं को खरीदे या न खरीदे। Customer is the king.... दुनियां की कोई भी ताकत उसे यह नहीं पूछ सकती कि आप यह सामान क्यों खरीद रहे हैं अथवा नहीं। सबसे अहम् बात की हम इसमें सरकार का इंतज़ार क्यों करें.!!! जब जनता कुछ करने लगे तो सरकार वेसे ही नीति बनाती है जो जनता पसन्द करती है। अमेरिका का राष्ट्रपति "जॉन एफ0 कैनेडी" ने कहा था- "Ask not what your country can do for you, ask what you can do for your country."
आगे अपनी बात एक शेर के साथ समाप्त करते हैं-
"खरीदें कब तलक कोट-पटलून-पेरहम हम चीन से।
अपनी अय्यासी गर हालत यही कायम रही...
आएंगे गुस्साल चीनी और कफ़न भी चीन से।।"
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Remove Chinese apps |
अब सबसे बड़ा प्रश्न ये खड़ा होता है आखिर ये सब करने से क्या हासिल होगा.! देखिये ये साफ़ तौर पर समझने वाली बात है कि आत्मनिर्भर भारत कोई एक दिन या एक साल में नहीं होने वाला। अगर यह परिवर्तन हमें आने वाले 10वर्षों बाद देखना है तो हमें आज से ही शुरुआत करनी पड़ेगी। हम ये भी मानते हैं कि शुरुआत में बहुत सी समस्याएं आएँगी लेकिन इसका अंजाम बहुत ही सुखद होगा। सबसे पहले शुरुआत हमें चीनी ऐप्स या सॉफ्टवेयर से करनी होंगी। हमें यह भी पता है कि चीन के सभी उत्पादों का बहिष्कार एक दम से कर लेना हमारे लिए संभव नहीं है। इसलिए धीरे-धीरे हमें इस क्षेत्र में आगे बढ़ना पड़ेगा। जैसा की सोनम वांगचुंग जी ने सुझाव दिया कि पहले 1हफ्ते में हम अपने जीवन से सिर्फ चीनी सॉफ्टवेयर को बाहर निकल फेंके। फिर 1वर्ष के भीतर हम हार्डवेयर को निकालने का प्रयास करें। हार्डवेयर में भी उन चीजों को सबसे पहले जो हमारे उपयोग की ज्यादा न हों। अर्थात जिनके बिना भी जीवनयापन आसानी से किया जा सके। उसके अगले वर्ष उन्हें जिनके विकल्प हमारे पास मौजूद हों। ऐसा ही क्रम आगे चलता रहा तो एक दिन ऐसा आएगा जब हम पूर्ण रूप से आत्मनिर्भर हो जायेंगे। जरा सोचिये अगर यही मुहीम हमने 10वर्ष पहले छेड़ी होती तो आज के क्या हालात होते..!!!
यहाँ ध्यान देने योग्य सबसे अहम बात यह कि हम इस अभियान का सिर्फ हवा न बनायें। अगर प्रत्येक नागरिक आज से ही यह प्रण ले की मैं आज से चीनी उत्पादों का कम से कम उपयोग अपने दैनिक जीवन में करूँगा तो एक दिन ऐसा आएगा जब हम खुद पाएंगे कि हमारी दिनचर्या से चीनी उत्पाद गायब हो गए हैं। लेकिन शुरुआत खुद से करनी होगी। पहले खुद से करे फिर अपने परिवार से। तदोपरांत अपने से जुड़े हुए कम से कम 5 व्यक्तियों को यह सब समझाने का प्रयास करें। देशभक्ति सीमा पर बंदूक उठाने से नहीं होती। अगर हम चाहे तो अपने घरों में बैठकर ही बिना हथियार उठाये चीन की सरकार को अपनी देशभक्ति का सबूत दे सकते हैं।
देशभक्ति क्या होती है इसका प्रत्यक्ष उदाहरण चीन की जनता और वहां की सरकार से हमें आज सीखने की नितांत आवश्यकता है। यही कारण है कि भारत से 2 वर्ष बाद 1949 ई0 में आजाद होने वाला चीन आज विश्व की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। इसका कारण है वहां देशभक्ति खून में होती है। किसी भी नागरिक को यह बताने की जरुरत नहीं होती कि देशभक्ति क्या है। वहां मेहनती लोगों की संख्या काफी है जो जिमेदार और कर्तव्यपरायण हैं। चीन के जनता अपने कारोबारियों पर भरोसा दिखाती है और चीन में ही निर्मित उत्पादों का उपयोग करना पसंद करती है। वहां न ही भ्रष्टाचार उतना है, जितना हमारे देश में है। इसके विपरीत भारत में विदेशी उत्पादों का उपयोग करना एक सामाजिक स्टेटस माना जाता है और घरेलू उत्पादों को तवज्जो देना साधारण व्यक्ति होने का संकेत।
आइये चीनी जनता और वहां की सरकार की देशभक्ति का कुछ नमूना देखते हैं.... पूरा विश्व आज Google सर्च इंजन का उपयोग करता है, जबकि चीन की जनता ने उसे चीन में घुसने तक नहीं दिया और वहां आज भी इसके स्थान पर BAIDU का उपयोग किया जाता है। इनका अपना देशी सर्च इंजन है। ये GOOGLE CHROME के स्थान पर UC Browser का उपयोग करते हैं। पूरा संसार Whatsapp उपयोग कर रहा है, जबकि यह चीन में आज भी बेन है। इसके स्थान पर इनका अपना देशी ऐप WeChatt उपयोग किया जाता हैं। Amazon को चीन में घुसने में एड़ी-चोटी का जोर लगाना पड़ गया लेकिन घुस नहीं पायी, क्योंकि वहां चीनी कंपनी Alibaba को ये लोग तवज्जो देते हैं। इसी प्रकार विश्व GMAIL उपयोग करता है, जबकि चीन में Tencent QQ चलाया जाता है। ये लोग facebook न चलाकर उसकी जगह Renren चलाते हैं। twitter वहां बेन है, उसकी जगह WeiBo चलाते हैं। You-tube की जगह अपना ही Youku उपयोग करते हैं।
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Top chinese aap |
कहने का ये तात्पर्य है कि चीन वह देश है जो खुद तो पूरे विश्व में अपने उत्पाद बेचता है लेकिन खुद के देश में स्वदेशी को बढ़ावा देता है। हास्यप्रद लगता है लेकिन जो आज हम करने की सोच रहे हैं, वो सब चीन आज से 30 वर्ष पहले कर चुका है। समझने वाली बात यह है कि अगर आज हम यही सब करना शुरू भी करते हैं तो हमें भी चीन जगह आने में अभी 30 वर्ष लगने वाले हैं। बशर्ते हम ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा से काम करें।
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by: Aaj Tak |
इस पर हमारी व्यक्तिगत राय यह है कि हे भद्र पुरुष.! अगर आपके भीतर देशप्रेम की इतनी ही भावना उमड़ रही है और आप इतने ही देशभक्त हैं, तो वहां सात समुद्र पार क्यों नौकर बनें फिर रहे हैं। यहाँ भारत में आइये और यहाँ अपना कारोबार कीजिये। खुद भी मुनाफा कमाइए और अपने साथ देश की जनता को भी काम दीजिये। हम बताते हैं आप भारत में क्यों नहीं कारोबार करना चाहते... क्योंकि यहाँ आपकी कमाई उतनी नहीं होगी जितनी US में डॉलर में होती है। स्वार्थपरता से औत-प्रोत होकर आपने अपनी जन्म-भूमि को अपनी कर्मभूमि नहीं चुना, बल्कि विदेशी भूमि को चुना। इसलिए अपनी ज्ञानबीड़ी जलाना बंद करें और भारत की चिंता करना छोड़ दें। भारत की अर्थव्यवस्था वेसे भी आप जैसे परजीवियों के रहमों करम पर नहीं चल रही है। यहाँ की अर्थव्यवस्था चलती है उस किसान से जो अपने खेतों में दिन-रात मेहनत करके अन्न उगाता है, लेकिन फिर भी विदेशों में बर्तन धोना पसंद नहीं करता। साथ ही वह मजदूर जो अपने देश में मजदूरी को अपना कर्तव्य समझता है। इसलिए आप जैसे लोग वहां कोसों दूर बैठकर अपना अमूल्य ज्ञान हमें न दे तो बेहत्तर है। पहले देश में आएं और देश की अर्थव्यवस्था में सहयोग दे, फिर अपना ज्ञान बांटें। रही बात दीवाली पर लड़ियों की तो हम सभी जानते हैं, चीन 500 या 1000 रूपये की लड़ियाँ भारत को नहीं बेचता। यह व्यापार युआन और डॉलर में होता है। तक़रीबन करोड़ों का यह व्यापार होता है, और भला अपनी कमाई का हम 1रुपया भी चीन की जेब में क्यों डालें.! यहाँ तो करोड़ों का सवाल है। साथ ही चीन के उत्पादों का बहिष्कार हम इसलिए नहीं करना चाहते की चीन के खाने-पीने के लाले पड़ जाएँगे, बल्कि ये सब इसलिए आवश्यक है क्योंकि बात देशप्रेम की है, प्रश्न आत्मसम्मान का है और प्रेरणा स्वावलंभी बनने की है। अगर यह अभियान ग्लोबल लेबल पर चला तो चीन का दिवालिया होना भी तय है। लेकिन इसके लिए पहले स्वयं से शुरुआत करनी होगी। साथ ही हम अपनी जरुरत का सामान देश में बना सकें ऐसी नीतियां भारत सरकार को बनानी होंगी। आज विश्व की बड़ी-बड़ी कंपनियों में भारत के अधिकारी कार्यरत हैं। भारतीय दिमाग US में सबसे ज्यादा उपयोग होता है। बात तकनीकी की हो या सभ्यता की, हमने अपना परचम पूरे विश्व में लहराया है। तो क्यों न हम अपने देश में निर्मित व्हाट्सऐप, फेसबुक, यू-ट्यूब जैसे सोशल मिडिया प्टेलफॉर्म का निर्माण करें। इस विषय पर अभी काफी आत्ममंथन की जरुरत है।
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Sonam Wangchuk |
आत्मनिर्भर भारत एक सपना है, इसे पूरा करने में सहयोग दें। अंत में "दुष्यंत कुमार" जी की कुछ पंक्तियाँ इस पूरे वृतांत को समझने के लिये काफी हैं....
"सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं,
मेरी कोशिश हैं कि ये सूरत बदलनी चाहिए।
मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही,
हो कहीं भी आग, लेकिन आग जलनी चाहिए।
जय हिन्द.! भारत माता की जय.!
-प्रभात रावतⒸ 🌞
*(ये लेखक के अपने व्यक्तिगत एवं स्वतंत्र विचार हैं..!!)
**आंकड़े/स्त्रोत:- प्रिंट मिडिया, इलेक्ट्रॉनिक मिडिया, यू-ट्यूब आदि द्वारा प्राप्त।
**आंकड़े/स्त्रोत:- प्रिंट मिडिया, इलेक्ट्रॉनिक मिडिया, यू-ट्यूब आदि द्वारा प्राप्त।
4 Comments
Wow.. gr8 ....बहुत उम्दा सोच!!!
ReplyDeleteAppreciable .. n a thoughtful article ..
Well done rawat ji 🙌👏👌👌👌✌️✌️
Understandable& appreciable
ReplyDeleteGood work& motivated thought
ReplyDeleteVery nice sir, really nice,👌👌👌👌👌
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