ऑनलाइन माध्यम से विद्यालयी शिक्षण कार्य कहाँ तक संभव है.!

     वैश्विक महामारी कोरोना के चलते वर्तमान में सभी शिक्षण निकायों में शिक्षण कार्य को सरकार के द्वारा अग्रिम आदेश तक रोका गया है। ये इसलिए भी आवश्यक था क्योंकि इस बीमारी में फिलहाल बचाव का रामबाण उपाय 'सामाजिक दूरी' बनाये रखना है। जिससे की संक्रमण की दर कम से कम हो सके और समय रहते इस बीमारी से निज़ात पायी जा सके।


     इसके मध्येनज़र प्रदेश स्तर पर विभिन्न सरकारी और गैर-सरकारी विद्यालयों (जैसे प्राथमिक विद्यालयों, माध्यमिक विद्यालयों एवं महाविद्यालयों ) में फिलहाल अग्रिम आदेश तक अवकाश घोषित किया गया है। लेकिन साथ ही सरकार के द्वारा ये भी आदेश दिया गया है कि विद्यार्थियों का पठन-पाठन कार्य बाधित न हो, इसलिए ऑनलाइन माध्यमों (जैसे- यू ट्यूब, व्हाट्सऐप, फेसबुक आदि ) की सहायता से शिक्षकों द्वारा विद्यार्थियों का शिक्षण कार्य करवाया जाये। सरकार की ये पहल वास्तव में प्रशंसनीय है। इससे जहाँ एक तरफ घर में विद्यार्थियों का शिक्षण कार्य शुचारु रूप से आगे बढ़ पायेगा, साथ ही शिक्षक भी लंबे समय अंतराल तक अपने विषय से दूर नहीं होंगे। इसके साथ ही सरकार के द्वारा राष्ट्रीय टीवी चैनल 'दूरदर्शन' की सहायता से भी शिक्षार्थियों को घर पर विभिन्न विषयों (जैसे- विज्ञान, गणित, अंगेजी आदि ) का अध्ययन करवाया जा रहा है।
     साथ ही इस पूर्णबंधी के जटिल समय में विषय-विशेषज्ञों के द्वारा भी स्वयं आगे आकर पहल की आवश्यकता है। विभिन्न विषयों के बुद्धिजीवी और राष्ट्रीय, अंतर्राष्ट्रीय एवं राज्य स्तर पर सम्मानित ख्याति प्राप्त विषय अध्यापकों को (जो भी उन्हें उपयुक्त लगे उसी माध्यम से ) अध्यापन कार्य शिक्षार्थियों को करवाया जाना चाहिए।


     लेकिन ये सर्वविदित है कि इन सबके बीच ऑनलाइन माध्यम से शिक्षण कार्य सुचारू हो, हमारे समक्ष चुनौतियाँ भी बहुत सी हैं। नया भारत निश्चित ही आज अंतरिक्ष में तिरंगा लहरा रहा हो, विज्ञान और सूचना प्रौद्योगिकी के मामले में हम आज विश्व में अग्रणी देशों में स्वयं को क्यों न पाते हों। लेकिन भारत का अधिकांश हिस्सा आज भी शहरों की आबोहवा से दूर गाँवो में बसता है।
     गौरतलब है कि भारत में आज भी बहुत से ग्रामीण क्षेत्र ऐसे हैं, जहाँ विद्युत की सुविधा कम है। और जहाँ विद्युत की सुविधा है भी, तो वहां विद्युत कटौती की समस्या या किसी अन्य कारण से सतत बिजली नहीं रहती है। इन सबके बीच इंटरनेट भी एक महत्वपूर्ण कारक है। बहुत से स्थान ऐसे हैं जहाँ विद्युत तो रहती है लेकिन इंटरनेट की सुविधा नहीं है। और जहाँ इंटरनेट की सुविधा है, वहां नेट कनेक्टिविटी सही नहीं रहती। साथ ही ग्रामीण और पहाड़ी क्षेत्रों में अधिकांश विद्यार्थियों के पास मोबाइल फोन या कंप्यूटर जैसे उपकरणों की कमी के चलते ऑनलाइन माध्यम से शिक्षण कार्य शत् प्रतिशत नहीं हो पायेगा।
     अब प्रश्न ये उठता है कि क्या बिना विद्युत और बिना इंटरनेट कनेक्टिविटी के या तमाम अन्य कारकों के बिना ऑनलाइन माध्यमों से शिक्षण कार्य को अंजाम दिया जा सकता है, या नहीं.?? शायद नहीं। क्योंकि बिना इन कारकों के ऑनलाइन शिक्षण कार्य की कल्पना करना भी व्यर्थ है।
     अलबत्ता अगर ये कहा जाये कि भारत का अभी भी अधिकांश भौगोलिक भाग ऐसा है जहाँ ऑनलाइन माध्यम से शिक्षण कार्य करने में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है, तो ये बिलकुल उचित होगा।
     भविष्य में इन सभी परेशानियों से न जूझना पड़े इसके लिए वर्तमान में चुनौतियाँ सिस्टम के समक्ष भी है। ये भी जान पड़ता है, आने वाले समय में हम इस दिशा में बेहतर सोच के साथ और भी अच्छा करने का प्रयास करेंगे।

-प्रभात रावतⒸ  🌞
*(ये लेखक के अपने व्यक्तिगत एवं स्वतंत्र विचार हैं..!!)

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