भारत-चीन सामरिक विवाद

     हाल ही में कोरोना वायरस की शुरुआत कहाँ से हुई, इसकी जाँच को लेकर 73वीं वर्ल्ड हेल्थ असेंबली में एक ड्राफ्ट प्रस्ताव पेश किया गया। इसका भारत समेत विश्व के 100 से ज्यादा देशों ने समर्थन किया। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अपना बचाव करते हुए कहा कि चीन ने इस पूरे मामले पर पारदर्शिता से काम किया है। फिर भी कोरोना पर काबू पाने के लिये चीन भी जिमेदारी से इस जाँच का समर्थन करता है तथा इसमें अपना सहयोग देगा। इसके तुरंत बाद चीन ने इसके लिए हामी भर ली। लेकिन साथ ही उसने अपने पुराने रवैये को आगे कर लिया। जैसे की सर्वविदित हैं चीन का अपने पड़ोसियों से हमेशा से ही सीमा विवाद रहा है। इसलिए इस विवाद को हवा देने के लिए चीन ने तुरंत ताइवान, हांगकांग तथा भारत से अपना सीमा विवाद बढ़ाना शुरू कर लिया। इसके साथ ही उसने दक्षिण चीन सागर में भी अपनी सैनिक गतिविधियाँ बढ़ानी तेज कर दी। हालाँकि वाइरस की उत्पत्ति का पता लगाने के लिए जाँच की माँग वाले इस प्रस्ताव में कहीं भी किसी देश का स्पष्ट नाम नहीं लिया गया है, फिर भी WHO से ये अपील की गयी है की वो इसकी निष्पक्ष जाँच करे।

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India china border dispute
     ताज़ा विवाद तब सामने आया जब सिक्किम के मुगथांग के पास चीनी सेना के कुछ जवानों ने भारतीय क्षेत्र में पेट्रोलिंग शुरू कर दी। जब भारतीय सैनिको ने चीनी सैनिकों को रोकने का प्रयास किया तो वे बत्तमीजी पर उतर आये। चीनी मेजर रैंक के एक बड़े अधिकारी ने बड़ी बत्तमीजी के साथ कहा- सिक्किम तुम्हारा नहीं है, वापस चले जाओ। इतने में हमारे एक भारतीय शेर "लेफ्टिनेंट बिरौल दास" जो काफी देर से चीनी आर्मी की बत्तमीजियां देख रहे थे, उनके सब्र का बांध टूट गया। आगे बड़े और एक जोरदार घूसा चीनी मेजर के नाक पर जड़ दिया। यह घूसा इतना जबरदस्त था की चीनी मेजर के नाक और चेहरे से खून निकलने लगा, उसकी वर्दी से उसका बैज़ नीचे गिर गया। उसके चश्में नीचे गिर गए और वह स्वयं जमीन पर मूर्छित अवस्था में गिर गया। ले0 दास आगे उसे और भी सबक सिखाने वाले थे, परंतु तभी तक दोनों तरफ के बड़े अधिकारियों ने मामला शांत कर दिया। इसके बाद बॉर्डर पर गर्मागर्मी का माहौल आगे न बढ़े इसलिए दोनों तरफ की आर्मी ने अपने सैनिकों को नियंत्रित करना प्रारम्भ किया।

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     यहाँ हम बता दें "ले0 बिरौल दास" भारत माता के ऐसे सपूत हैं जिनका पूरा परिवार माँ भारती की सेवा में तीन पीढ़ियों से निरंतर कार्यरत है। इनके दादा जी आज़ादी से पहले रॉयल एयर फ़ोर्स तथा आज़ादी के बाद इंडियन एयर फ़ोर्स में अपनी सेवाएं दे चुके हैं। इनके पिताजी इंडियन आर्मी में कर्नल पद पर रिटायर्ड हुए हैं। तथा इनकी बहिन इंडियन आर्मी में ऑफिसर पद पर तैनात हैं। इन्होंने वर्ष 2017 में CDS-2017(I) AIR-102 के साथ क्वालीफाई किया था। इससे ज्यादा जानकारी देना यहाँ सुरक्षा के लिहाज़ से सही नहीं है इसलिये हम इस बारे में ज्यादा नहीं लिखना चाहते हैं। लेकिन यकीन मानिये ले0 दास का वो एक घूसा हर भारतीय के लिए देशभक्ति और माँ भारती पर गर्व करवाने के लिए काफी था।

     इसके पश्च्यात दूसरा वाक्या लद्दाख से सामने आया। यू-ट्यूब पर ROYAL SOLDIER नाम के एक चैनल पर हमने देखा कि लद्दाख क्षेत्र में दूसरी तरफ से चीन की पेट्रोलिंग पार्टी जब भारतीय क्षेत्र में जबरन घुसने का प्रयास कर रही थी तो इंडियन आर्मी के साथ ITBP के जवानों ने अपनी हिम्मत दिखाते हुए उन्हें पीछे खदेड़ दिया। फलस्वरूप चीनी सैनिकों को वहां से पीछे भागना पड़ा। यहाँ तक की वे अपने आर्मी ट्रकों को वहीं छोड़कर भाग खड़े हुए। इसके बाद चीनी सैनिकों ने दूर दूसरी तरफ अपनी सीमा में जाकर वहां से इंडियन आर्मी पर पथराव करना शुरू किया। उनके जबाब में भारतीय शेरों ने भी डटकर मुकाबला किया। इतने में एक चीनी सैनिक जमीन पर पड़ा हुआ नज़र आया। शायद सिर पर पत्थर लगने से वह नीचे जमीन पर गिरा हुआ था और उसके सर से खून बह रहा था। लेकिन भारतीय जवान फिर भी उसकी हिफाजत करते हुए नज़र आये। भारतीय जवानों ने उसे शील्ड कर सुरक्षा दी हुई थी ताकि दुबारा उस पर कोई पत्थर आकर न लगे। यह हमारी सेना की इंसानियत को प्रदर्शित करने वाली एक भावना ही थी जो हर भारतीय को गर्व करवाने के लिए काफी थी। ये दोनों ऐसी घटनाएं थी जो मीडिया में कम मात्रा में बाहर निकल कर आई। इसके अलावा भी हर दिन बहुत सी ऐसी घटनाएं बॉर्डर पर होती होंगी जो एक आम जन-मानस तक पहुँच नहीं पाती।

     अभी हाल ही में हमने एक समाचार चैनल पर पूर्व थल सेना अध्यक्ष "जनरल विक्रम सिंह जी" का भारत-चीन के वर्तमान हालात पर प्रकाश डालने के लिए एक इंटरव्यू देखा। जनरल साहब जो की भारतीय सेेेना को बहुत करीब से जानते हैं, अपने अनुभव के आधार पर बता रहे थे- सबसे पहले तो हमारे नागरिकों, उनमें से भी खासकर नवयुवकों को यह समझना आवश्यक है कि LOC (लाइन ऑफ़ कण्ट्रोल)  तथा LAC (लाइन ऑफ़ एक्चुअल कण्ट्रोल) में सामरिक दृष्टि से बहुत बड़ा अंतर है। LOC जो लाइन ऑफ़ कण्ट्रोल है, वहां पर गोला-बारूद, सर्जिकत स्ट्राइक, हथियार, गोलियां आदि चलते रहते हैं। जबकि इसके उलट LAC जो लाइन ऑफ़ एक्चुअल कण्ट्रोल चीन के साथ में है, ये हिमालय के ऊपर एक काल्पनिक रेखा है। इसकी कल्पना दोनों देशों भारत तथा चीन के अपने-अपने हिसाब से बनाई हुई है। कभी उस तरफ के सैनिक पेट्रोलिंग करते हुए अपना इलाका समझकर हमारे क्षेत्र में आ जाते हैं, तो कभी इस तरफ के सैनिक पेट्रोलिंग करते उसे उनके क्षेत्र में पहुँच जाते हैं। इसलिए जब भी कोई किसी अन्य के क्षेत्र में पहुँच जाता है तो फेस ऑफ़ हो जाता है। इस फेस ऑफ़ को हल करने के लिए वर्ष 1993, 1996, 2005 तथा 2013 में कुछ प्रोटोकॉल  तथा कुछ महत्वपूर्ण अग्रिमेंट्स बनाये हुए हैं। इनके आधार पर ही इस प्रकार के विवादों का हल कूटनीति के माध्यम से निकाला जाता है। अतः ये फेस ऑफ लगभग आर्मी स्तर पर हल हो जाते हैं। कभी इनमें समय कम लगता है तो कभी जरा ज्यादा समय तक खिंचते हैं।

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line of actual control between India and china

     आगे जनरल साहब बताते हैं, कि आखिर वर्तमान में चीन का अचानक ये सब सीमा विवाद खड़ा करने का उद्देश्य क्या है.? इसका उन्होंने निम्नलिखित कारण गिनाए-

1)-   ये सब करके चीन भारत को रणनीतिक सन्देश देना चाहता है।

2)-   अनुच्छेद-370 और 35(a) के समाप्त हो जाने के कारण अब कश्मीर में शांति का माहौल है। वहां पर माहौल धीरे-धीरे सही होता जा रहा है और कश्मीर का जन-मानस अब भारत से सीधे तौर पर जुड़ रहा है। इस कारण अब अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कश्मीर का मुद्दा ठंडे बस्ते में जाता दिखाई दे रहा है और इससे चीन बौखलाया हुआ है।

3)-    पिछले कुछ वर्षों में भारत-अमेरिका के संबंधों में घनिष्ठा आई है। अमेरिका अब खुल कर भारत के साथ हर अंतर्राष्ट्रीय मंच साझा करता है। व्यापार के लिहाज़ से भी भारत का सबसे ज्यादा व्यापार अब अमेरिका के साथ हो रहा है। जैसा की हम जानते हैं चीन और अमेरिका के संबंधों में फिलहाल कुछ वक्त से कटुता चल रही हैं। इसलिए चीन को भारत का अमेरिका से संबंधों को बढ़ना अखर रहा है। वह इसे अपने लिए असुरक्षा की नज़र से देख रहा है।

4)-   भारत सरकार का अपने FDI के नियमों में बदलाव करना, जिससे अब चीनी कंपनियों को भारत में व्यापार करना पहले जितना आसान नहीं रह गया है। इस कारण भी चीन बौखलाया हुआ है।

5)-    भारत का उन 100 से ज्यादा देशों के साथ खड़ा होना तथा कोरोना की जाँच के लिए अपना समर्थन देना भी चीन के गले नहीं उतर रहा है।

6)-   सबसे अहम कारण यह की कोरोना पेनाडेमिक के कारण अब चीन की जनता खुद जिनपिंग सरकार का वहां पर विरोध कर रही है। ऊपर से चीन पर अब पूरे विश्व की नज़र है जिससे वैश्विक स्तर पर चीन की खूब जगहंसाई हो रही है। इससे चीन का ग्लोबल लेबल पर सबकी आँखों में अखरने का कारण वहां की जनता सिर्फ जिनपिंग सरकार की नाकामी को समझ रही है। अभी चीन में बेरोजगारी लगभग 20% तक बढ़ी है तथा उसकी GDP भी कम रहने की आशंका है। विरोध के सुर खुद चीन के बड़े अधिकारी ही अख्तियार कर रहे हैं। अतः इन सब से अपनी जनता का ध्यान हटाने के लिए और देशभक्ति की भावना से सभी को एकजुट करने के लिए जिनपिंग सरकार ने अपने पडोसी देशों के साथ सीमा विवाद को फिर से जन्म दे दिया है। ये पहली मरतबा नहीं है, इससे पहले भी चीनी सरकार ये सब करती आई है।
     इन सब के अलावा जनरल साहब ने कहा-  चीन को यह भी पता है कि भारत अब वो 1962 वाला भारत नहीं रहा। 1962 के बाद भारत की आर्मी में गतिशीलता आई है। यहीं कारण है UN अपने हर अभियान में भारत से आर्मी, नेवी तथा एयर फ़ोर्स का सहयोग मांगता है। वे हमारी काबिलियत को बखूबी जानते हैं। इसके अलावा भारत और चीन अक्सर मिलकर युद्धाभ्यास करते हैं। अतः दोनों एक दूजे की शक्ति और सामर्थ्य से परिचित हैं। माना कि चीन की आर्मी आज हमसे ज्यादा है और उसके पास तकनीकी और आधुनिक हथियार भी हमसे ज्यादा हैं। परंतु युद्ध शक्ति दो प्रकार से आंकी जाती है। पहला टेनजेबल पॉवर जिसमें की गन, टैंक, गोला-बारूद, एयर क्राफ्ट आदि आते हैं। और दूसरा टेनजेबल पॉवर, जिसमें पॉलिटिकल विल, मिलिट्री लीडरशिप, मिलिट्री ट्रेनिंग, सरकार और मोरालिटी आदि आते हैं। हम टेनजेबल पॉवर में चीन जितने नहीं लेकिन इंटेनजेबल पॉवर में आज भी हम चीन से आगे हैं।

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     अलबत्ता, जनरल साहब के ये शब्द हर भारतीय को LAC पर उठे इस विवाद को समझने के लिए काफी हैं। इन सबके बीच सबसे अहम बात यह की दोनों मुल्क परमाणु हथियारों से संपन्न हैं। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता किसके पास कितने परमाणु हथियार हैं। क्योंकि किसी भी देश तो तबाह करने के लिए एक परमाणु हथियार ही काफी होता है। लेकिन इसकी जरुरत नहीं पड़ने वाली। चीन ये सब बखूबी जानता है की अगर उसने ऐसी कोई हिमाकत की तो हिन्द के वीर उसे उसकी ही भाषा में जबाब देने का ज़िगरा रखते हैं। इसलिए वो बस इस समय विश्व की टकटकी को ध्यान में रखकर ये सब विवाद को जन्म देकर कोरोना महामारी से सबका ध्यान हटाना चाहता है। आज चीन विश्व में चौतरफ़ा घिर चुका है, इसलिए उसकी ये छटपटाहट लाज़मी है। लेकिन फिर भी हमें सतर्क रहना होगा। हमारी आर्मी इसके लिए रात-दिन तैयार है। हमें किसी भी हाल पर चीन पर विश्वास नहीं करना है। क्योंकि यह वह देश है जो मुँह पर राम-राम और बगल पर छुरी रखने वाला है।
     इन सबके बीच एक खबर यह भी निकालकर आई है, चीन ने अब अपने पांव हिन्द महासागर में भी बढ़ाने शुरू कर दिए हैं। चीन की नेवी अभी विश्व की दूसरी सबसे बड़ी नेवी है। इसलिए वह विश्व में हर मोर्चे पर नंबर वन बनकर सुपर पॉवर बनना चाहता है और अपनी जल सेना को भी अधिक मजबूत बनाना चाहता है। हिन्द महासागर में उसकी दखल साफ़ बताती है कि चीन अब समुद्र के रस्ते भी भारत को घेरने का प्रयास कर रहा है। साथ ही चीन ने भारत के पड़ोसी देशों पर भी अपना शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। जिन्हें वह समय पड़ने पर भारत के विरुद्ध खड़ा कर अपने स्वार्थों की पूर्ती कर सके। ताज़ा उदाहरण नेपाल का ही देखा जा सकता है। नेपाल की कम्युनिष्ट सरकार आज चीन की उकसावे वाली भाषा भारत के साथ बोल रही है। पाकिस्तान तो वर्षों से ही चीन की गोद में बैठा हुआ है। श्रीलंका में भी चीन ने अपना काफी निवेश किया हुआ है तथा वहां चीन ने अपना सैनिक अड्डा बनाया हुआ है। बाकि बचे भूटान, मालदीव, बांग्लादेश और म्यामांर यही क्रम चलता रहा तो चीन इन पडोसी राष्ट्रों में भी बहुत जल्द अपना निवेश बढ़ा सकता है। ताकि भारत पर कूटनीतिक दबाब डाला जा सके और अपनी मनमानी की जा सके।
     अभी हाल ही में उत्तरप्रदेश के मेरठ से एक अनोखा मामला सामने आया है। क्राइम ब्रांच ने चीन की VIVO मोबाईल कंपनी के 13 हज़ार से ज्यादा ऐसे मोबाइल फोन इंटरसेप्ट किये हैं जो एक ही IMEI नंबर पर जारी किये गए हैं। पूरे भारत में इनकी संख्या और भी अधिक हो सकती है। साफ़ है इस वैश्विक महामारी के बीच भी चीन जैसा देश अपनी हरकतों से बाज़ नहीं आ रहा है। अंतर्राष्ट्रीय मानकों को ताक पर रखकर चीन अपने उपभोक्ताओं की सुरक्षा से खिलवाड़ कर रहा है। यहाँ ये समझना अति आवश्यक हो जाता है कि VIVO तथा OPPO दोनों ही चीनी मोबाईल कंपनियों के मालिक एक ही हैं। जब एक कंपनी फर्जीवाड़ा कर सकती है तो दूसरी पर भी संदेह की सुई घूम जाना लाज़मी है। साथ ही अपने तमाम चीनी सॉफ्टवेयर के माध्यम से चीन आज अपने उपभोक्ताओं की निजी जानकारियों को भी चुरा रहा है। चीन का सबसे बड़ा बाजार आज भारत है इसलिए निसंदेह भारत पर भी साइबर सुरक्षा के लिहाज़ से आज खतरा सबसे बड़ा है। इसलिए अब ये हमारा व्यक्तिगत निर्णय है कि हमें चीनी सामान का उपयोग कर अपनी सुरक्षा से खिलवाड़ करना है या फिर चीन से बनी वस्तुओं का बहिष्कार करना है।
     अक्सर हम देखते हैं की टेलीविजन पर या सोशल मीडिया पर दिन-रात कुछ देश विरोधी बुद्धिजीवियों की टोलियाँ सरकार पर या इंडियन आर्मी पर प्रश्न चिन्ह लगाने से बाज़ नहीं आती हैं। किसी को हर किये हुए कार्य का सबूत चाहिए होता है, तो किसी के हृदय की अग्नि सबूत मिल जाने के बाद भी ठंडी नहीं होती है। विरोध के स्वर तो इनके ऐसे फूटते हैं मानो जैसे इनसे बड़ा ज्ञानी इस देश में कोई और बचा ही नहीं। लोकतंत्र में सरकार की आलोचना करना जायज है, और ये होनी भी चाहिए। लेकिन देशहित को ताक पर रखकर बिलकुल भी नहीं। सबसे पहले और सबसे ऊपर राष्ट्रप्रेम फिर व्यक्तिगत दृष्टिकोण होना चाहिए। इस प्रकार के व्यक्तियों के लिए हम इस लेख के माध्यम से ये स्पष्ठ सन्देश देना चाहते है, कि अगर आप जैसे लोग किसी का आत्मविश्वास बढ़ा नहीं सकते, तो कृपया उसे कम भी न करें। संयमित रहें और अफवाह न फैलाएं। आज भारत सरकार का डंका पूरे विश्व में बज़ रहा है और हमारी इंडियन आर्मी आज विश्व की उन चुनिंदा सेनाओं में से एक हैं, जिसका लोहा आज पूरा विश्व मानता है।

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     बहरहाल, ये वक्त अपने उन जवानों पर फक्र करने का है जो हमारी सुरक्षा के लिए दिन-रात दुश्मनों से भारत माँ की रक्षा में तत्पर लगे हैं। ख़ुशी की बात यह है कि वर्तमान सरकार इस मामले में पिछली सरकारों से बेहत्तर काम कर रही है। यही कारण है कि चीन की सियासत में बैठे उसके लाल बादशाह और उसकी चमगादड़ सेना अब LAC से अपने क़दमों को पीछे खींचनें पर मजबूर है। भारत ने इस बार भी डोकलाम की तरह लद्दाख़ क्षेत्र में भी चीन की सेना को पीछे खदेड़ा है। इस बार भारत से सामरिक, कूटनीतिक और आर्थिक मार खाने के बाद अब चीनी चमगादड़ वापिस अपने बिलों में जा चुके हैं। बेहतर होगा हम अपना रक्षा बजट आगे से और अधिक बढ़ाएं। साथ ही भारत को अपने पड़ोसी देशों से अपने सम्बन्ध और अधिक मधुर बनाने पड़ेंगे। उन्हें हमें ये विश्वास दिलाना होगा की भारत कभी किसी देश और सभ्यता का बुरा नहीं चाहता है। हम मित्रता निभाना बखूबी जानते हैं। पड़ोसी देशों में निवेश अधिक करना होगा जिससे हम उनसे भावनात्मक रूप से और अधिक जुड़ पाएं। भारत चारों और से शत्रुओं से घिरा हुआ राष्ट्र है। अतः सुरक्षा के लिहाज़ से ये अति आवश्यक है कि हमें अपनी आर्मी को और भी ज्यादा पावरफुल करना होगा। क्योंकि जब किसी देश की आर्मी ताकतवर होती है, तो वहां की कूटनीति भी ताकतवर होती हैं और जहाँ कूटनीति समाप्त हो जाती है, वहां आर्मी की कार्रवाही शुरू होती है।

जय हिन्द.!                                    भारत माता की जय.!


-प्रभात रावतⒸ  🌞
*(ये लेखक के अपने व्यक्तिगत एवं स्वतंत्र विचार हैं..!!)

**आंकड़े/स्त्रोत:- प्रिंट मिडिया, इलेक्ट्रॉनिक मिडिया, यू-ट्यूब आदि द्वारा प्राप्त।


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7 Comments

  1. बहुत सुन्दर

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  2. गुणवत्ता लेख

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  3. Wrote a very good editorial article.....nice Prabhat ji....🙏🙏🙏

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  4. प्रशंसनीय सामरिक लेख🙏🙏🙏🙏

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  5. ... nice article .. lots of research work u hv done on d topic .. it's really a worthy subject .. thanx fr sharing d information ..✌️✌️👌👌👌

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